What Is Ip Address In Hindi
What Is Ip Address In Hindi : IP एड्रेस (इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस) इंटरनेट या किसी भी नेटवर्क पर डिवाइस की पहचान के लिए इस्तेमाल होने वाली यूनिक संख्या होती है। जब आप अपने कंप्यूटर या स्मार्टफोन को इंटरनेट से कनेक्ट करते हैं, उसे एक IP एड्रेस असाइन किया जाता है, जिससे वह अन्य डिवाइस के साथ संवाद कर सके.IP एड्रेस का काम बिल्कुल उसी तरह होता है कि आपका घर का पता, जो डाकिया को सही जगह पत्र पहुंचाने में मदद करता है। इंटरनेट पर सही डिवाइस को सही डेटा भेजने के लिए IP एड्रेस आवश्यक होता है।
IP एड्रेस के प्रकार
IP FULL FORM
What Is Ip Address In Hindi : IP एड्रेस दो प्रकार के होते हैं: IPv4 और IPv6। आइए, इन दोनों के बारे में जानते हैं।
1. IPv4 (इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्शन 4)
IPv4 सबसे पुराना और सबसे सामान्य प्रकार का IP एड्रेस है। यह 32-बिट का होता है और इसे चार हिस्सों में बाँटा गया है। हर हिस्सा 0 से 255 के बीच होता है और इन्हें डॉट (.) से अलग किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक IPv4 एड्रेस ऐसा दिख सकता है: 192.168.1.1। IPv4 एड्रेस में 4,294,967,296 (लगभग 4.3 बिलियन) यूनिक एड्रेस होते हैं।
हालांकि, इंटरनेट पर कनेक्टेड डिवाइसों की बढ़ती संख्या के कारण IPv4 एड्रेस सीमित पड़ने लगे हैं, क्योंकि हर डिवाइस को एक यूनिक एड्रेस की जरूरत होती है। इसी समस्या के समाधान के लिए IPv6 विकसित किया गया।
2. IPv6 (इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्शन 6)
IPv6 एक नया और एडवांस्ड IP एड्रेस सिस्टम है। यह 128-बिट का होता है और इसे 8 हिस्सों में बाँटा जाता है, हर हिस्सा 16 बिट्स का होता है। इसे हेक्साडेसिमल नंबर में लिखा जाता है और कॉलन (:) से अलग किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक IPv6 एड्रेस ऐसा दिख सकता है: 2001:0db8:85a3:0000:0000:8a2e:0370:7334। IPv6 में IP एड्रेस की संख्या इतनी अधिक है कि यह लगभग अनलिमिटेड है।
IPv6 के आने से अब इंटरनेट पर डिवाइसों की संख्या को सीमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह कई अधिक एड्रेस प्रदान करता है।
IP एड्रेस के उपयोग
IP एड्रेस मुख्य रूप से दो उद्देश्यों के लिए उपयोग होता है:
- पहचान (Identification): जब भी कोई डिवाइस नेटवर्क पर कनेक्ट होता है, उसे एक यूनिक IP एड्रेस दिया जाता है, जिससे वह अन्य डिवाइसों से अलग हो सके। यह एड्रेस उस डिवाइस की पहचान होता है और उसके माध्यम से उसे नेटवर्क पर डेटा भेजा और प्राप्त किया जाता है।
- स्थान निर्धारण (Location Addressing): IP एड्रेस किसी डिवाइस का नेटवर्क पर स्थान निर्धारित करता है। जैसे कि आपका घर का पता बताता है कि आप कहाँ रहते हैं, उसी प्रकार IP एड्रेस बताता है कि कोई डिवाइस नेटवर्क में कहाँ स्थित है, ताकि डेटा सही जगह पर पहुंच सके।
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पब्लिक और प्राइवेट IP एड्रेस
IP एड्रेस को दो प्रकारों में भी बाँटा जा सकता है: पब्लिक IP एड्रेस और प्राइवेट IP एड्रेस।
1. पब्लिक IP एड्रेस
पब्लिक IP एड्रेस वह एड्रेस होता है जो इंटरनेट पर ग्लोबल (वैश्विक) रूप से मान्यता प्राप्त होता है। इसे आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) द्वारा आपके डिवाइस को असाइन किया जाता है। पब्लिक IP एड्रेस के माध्यम से इंटरनेट पर मौजूद अन्य डिवाइस आपके डिवाइस से संपर्क कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, जब आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं, तो आपका पब्लिक IP एड्रेस उस वेबसाइट के सर्वर को दिखाता है कि डेटा कहाँ भेजना है।
2. प्राइवेट IP एड्रेस
प्राइवेट IP एड्रेस वह एड्रेस होता है जो लोकल नेटवर्क (जैसे घर या ऑफिस) में इस्तेमाल होता है। इसे राउटर द्वारा आपके डिवाइस को असाइन किया जाता है और यह एड्रेस इंटरनेट पर सीधे दिखाई नहीं देता। प्राइवेट IP एड्रेस का उपयोग डिवाइसों को लोकल नेटवर्क में एक-दूसरे से संवाद करने के लिए किया जाता है। प्राइवेट IP एड्रेस की रेंज कुछ तय होती है, जैसे 192.168.x.x, 10.x.x.x, और 172.16.x.x से लेकर 172.31.x.x तक।
IP एड्रेस कैसे काम करता है?
जब भी आप किसी वेबसाइट को एक्सेस करते हैं, जैसे कि आप अपने ब्राउज़र में www.example.com टाइप करते हैं, तब यह नाम एक IP एड्रेस में परिवर्तित होता है। यह काम DNS (डोमेन नेम सिस्टम) द्वारा किया जाता है। DNS सर्वर एक तरह की एड्रेस बुक की तरह काम करते हैं, जो वेबसाइट के नाम को उसके IP एड्रेस से मैप करते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आप www.google.com पर जाते हैं, तो DNS सर्वर Google की वेबसाइट के लिए सही IP एड्रेस ढूंढते हैं और उसे आपके ब्राउज़र को भेजते हैं। फिर आपके ब्राउज़र का अनुरोध उस IP एड्रेस पर जाता है और वेबसाइट आपके स्क्रीन पर लोड होती है।
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