What Is Ddos Attack In Cyber Security : DDoS (Distributed Denial of Service) अटैक एक ऐसा साइबर हमला होता है जिसमें किसी सर्वर, वेबसाइट या नेटवर्क पर बहुत ज्यादा नकली ट्रैफिक भेजा जाता है, जिससे असली यूजर्स उस सर्वर या वेबसाइट तक नहीं पहुँच पाते। इसे ऐसे समझें जैसे किसी दुकान के अंदर बहुत सारे लोग एक साथ आ जाएं और असली ग्राहक अंदर आ ही न सकें।
What Is Ddos Attack In Cyber Security
DDoS Attack कैसे काम करता है?
- Botnet (Gang Of Hackers): DDoS Attack को करने के लिए हैकर्स बहुत सारे Devices (जिन्हें “बोटनेट” कहा जाता है) का इस्तेमाल करते हैं। ये डिवाइस Computer, Phone या IoT (जैसे स्मार्ट टीवी, कैमरे) हो सकते हैं। इन डिवाइसेस को हैकर कंट्रोल करता है और फिर एक साथ टारगेट पर ट्रैफिक भेजता है।
- ट्रैफिक से सर्वर को भर देना: इसका उद्देश्य होता है कि टारगेट पर इतने ज्यादा रिक्वेस्ट भेजी जाएं कि वो सर्वर धीमा हो जाए या बंद हो जाए। जैसे अगर एक छोटी दुकान में एक साथ 1,00,000 लोग घुसने की कोशिश करें तो वो दुकान बंद हो जाएगी।
- कई जगहों से अटैक: DDoS अटैक कई अलग-अलग जगहों से होता है, जिससे अटैक को रोकना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ये एक ही IP एड्रेस से नहीं आ रहा होता, बल्कि दुनिया भर से आ सकता है।
DDoS Attack क्यों Danger होते हैं?
- बिजनेस बंद हो सकता है: अगर कोई ई-कॉमर्स वेबसाइट बंद हो जाती है तो उसे ग्राहक और कमाई दोनों का नुकसान होता है। बड़े पैमाने पर DDoS अटैक होने पर यह नुकसान करोड़ों में हो सकता है।
- विश्वसनीयता पर असर: अगर वेबसाइट बार-बार DDoS अटैक की वजह से डाउन हो रही है, तो ग्राहकों का भरोसा कम हो जाता है और ब्रांड की छवि खराब होती है।
- दूसरे अटैक का कवर: कभी-कभी DDoS अटैक का इस्तेमाल ध्यान भटकाने के लिए किया जाता है। जब सिक्योरिटी टीम DDoS को संभाल रही होती है, तो हैकर्स डेटा चोरी या अन्य हमले कर सकते हैं।
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Famous DDoS Attacks
- GitHub Attack(2018): GitHub पर सबसे बड़ा DDoS अटैक हुआ था जिसमें 1.35 Tbps ट्रैफिक भेजा गया था। लेकिन GitHub की सिक्योरिटी के कारण यह अटैक कुछ ही मिनटों में काबू में आ गया।
- Dyn Attack (2016): इस अटैक में हैकर्स ने IoT डिवाइसेस का इस्तेमाल करके Dyn पर हमला किया, जिससे Twitter, Netflix, और Spotify जैसी बड़ी वेबसाइटें प्रभावित हुईं।
- Mirai Botnet Attack : यह बोटनेट IoT डिवाइसेस से बना हुआ था और इसने कई बड़ी सेवाओं और वेबसाइटों पर हमला करके बड़ी तबाही मचाई थी।
DDoS Attack से बचाव कैसे करें?
- रेट लिमिटिंग: इसमें सर्वर पर एक निश्चित समय में आने वाली रिक्वेस्ट्स की संख्या को सीमित कर दिया जाता है, जिससे अटैक का प्रभाव कम हो जाता है।
- वेब एप्लिकेशन फायरवॉल्स (WAFs): यह HTTP रिक्वेस्ट्स को फ़िल्टर करता है और संदिग्ध ट्रैफिक को ब्लॉक कर देता है।
- कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क्स (CDNs): CDN कई सर्वरों में ट्रैफिक को बांटकर अटैक को कम करता है और सर्वर पर बोझ नहीं पड़ने देता।
- DDoS प्रोटेक्शन सर्विसेज: Cloudflare, Akamai जैसी सर्विसेज रियल-टाइम में अटैक्स को पहचानकर उन्हें रोकने में मदद करती हैं।
DDoS Attack के परिणाम
- Server Down हो सकता है: अगर कोई वेबसाइट DDoS अटैक की वजह से डाउन हो जाती है, तो उसे बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। खासकर अगर वो वेबसाइट कोई बिजनेस साइट हो, तो ग्राहकों को नुकसान होता है।
- ग्राहकों का भरोसा टूट सकता है: अगर किसी वेबसाइट पर बार-बार DDoS अटैक हो रहा है और वेबसाइट डाउन हो रही है, तो लोग उस साइट पर जाना बंद कर सकते हैं, जिससे कंपनी की छवि खराब हो सकती है।
DDoS Attackसे बचने के उपाय
- रेट लिमिटिंग: इसमें सर्वर पर आने वाले रिक्वेस्ट्स की संख्या को सीमित किया जाता है, ताकि सर्वर को बहुत सारे रिक्वेस्ट्स से ओवरलोड न किया जा सके।
- वेब एप्लिकेशन फायरवॉल (WAF): यह एक सुरक्षा प्रणाली होती है जो संदिग्ध ट्रैफिक को पहचानकर उसे ब्लॉक कर देती है।
आसान उदाहरण
मान लीजिए, आपके पास एक छोटी दुकान है। एक दिन, बहुत सारे लोग एक साथ दुकान में घुसने की कोशिश करते हैं। ये लोग असली ग्राहक नहीं हैं, बल्कि बाहर से भेजे गए नकली ग्राहक हैं। उनकी वजह से असली ग्राहक दुकान के अंदर नहीं आ पाते। यही DDoS अटैक का सिद्धांत है, जिसमें वेबसाइट या सर्वर पर नकली ट्रैफिक भेजकर उसे बंद किया जाता है।